उन रॅगीन सपनो की डोर आज भी तेरे साथ जुडी है--तू पलट कर आ या ना आ...पर
खामोश मुहबबत की वो कसक दरदे-दिल मे आज भी बसी है--आॅसूओ को पलको मे
दबा कर रखते है..डरते है यादो को तेरी मेरे दामन से बहा कर ना ले जाए--मिलते है
हजारो हमसफर साथ चलने के लिए..पर हम है कि अब भी तुझी से जुडे है--
खामोश मुहबबत की वो कसक दरदे-दिल मे आज भी बसी है--आॅसूओ को पलको मे
दबा कर रखते है..डरते है यादो को तेरी मेरे दामन से बहा कर ना ले जाए--मिलते है
हजारो हमसफर साथ चलने के लिए..पर हम है कि अब भी तुझी से जुडे है--