बहुत तनहाॅ है आप के बिना..जिॅदा रह कर भी जिॅदा नही है आप के बिना..हर तडपती
शाम देती है एहसास जुदाई का..शिकवा करे तो कया करे..मुहबबत खामोश थी,फैसला
था आप का..सुन कर भी सुन नही पाए धडकनो की वो आधिॅया..हम ने जलाए रातो को
मुहबबत केे हजारो दिए..पी रहे है खून के आॅसू आज भी..आप केे बिना..आप के बिना..
शाम देती है एहसास जुदाई का..शिकवा करे तो कया करे..मुहबबत खामोश थी,फैसला
था आप का..सुन कर भी सुन नही पाए धडकनो की वो आधिॅया..हम ने जलाए रातो को
मुहबबत केे हजारो दिए..पी रहे है खून के आॅसू आज भी..आप केे बिना..आप के बिना..