Monday 16 May 2016

बहुत तनहाॅ है आप के बिना..जिॅदा रह कर भी जिॅदा नही है आप के बिना..हर तडपती

शाम देती है एहसास जुदाई का..शिकवा करे तो कया करे..मुहबबत खामोश थी,फैसला

था आप का..सुन कर भी सुन नही पाए धडकनो की वो आधिॅया..हम ने जलाए रातो को

मुहबबत केे हजारो दिए..पी रहे है खून के आॅसू आज भी..आप केे बिना..आप के बिना..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...