Saturday 9 April 2016

बेेखबर रहो गे कब तक...कब तक मेरे हुसन के जादू से--टूटो गे इक दिन मेरी आगोश

मे आने केे लिए--गरूर कितना भी कर लो अपने रूतबे-जजबात पे..फिर भी आओ गे

मुहबबत की सजा काटने मेरे ही दरबार मे--तनहाॅ हो तुम कितने..जानते है तुम को

कही जयादा तुम से--यू नजऱे ना चुराओ हम से कि आना ही पडे गा इक दिन मुझ से

नजरे मिलाने के लिए---





दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...