बेेखबर रहो गे कब तक...कब तक मेरे हुसन के जादू से--टूटो गे इक दिन मेरी आगोश
मे आने केे लिए--गरूर कितना भी कर लो अपने रूतबे-जजबात पे..फिर भी आओ गे
मुहबबत की सजा काटने मेरे ही दरबार मे--तनहाॅ हो तुम कितने..जानते है तुम को
कही जयादा तुम से--यू नजऱे ना चुराओ हम से कि आना ही पडे गा इक दिन मुझ से
नजरे मिलाने के लिए---
मे आने केे लिए--गरूर कितना भी कर लो अपने रूतबे-जजबात पे..फिर भी आओ गे
मुहबबत की सजा काटने मेरे ही दरबार मे--तनहाॅ हो तुम कितने..जानते है तुम को
कही जयादा तुम से--यू नजऱे ना चुराओ हम से कि आना ही पडे गा इक दिन मुझ से
नजरे मिलाने के लिए---