Saturday 30 April 2016

कागज के पननो पे लिख कर तेरा नाम..मिटा कर भी नही मिटा पाते है तुझे दिया हर

पैगाम...तसवीर उभरती है तेरी,आईना जब भी देखते है..बेशक सुबह हो या हर शाम..

पायल की झॅकार मे सुनाई देती है अकसर,तेरे कदमो के चलने की आवाज...चूडियो को

जब जब खनकातेे है,तेरे वजूद से खुद को जुुदा नही कर पाते हैै....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...