कागज के पननो पे लिख कर तेरा नाम..मिटा कर भी नही मिटा पाते है तुझे दिया हर
पैगाम...तसवीर उभरती है तेरी,आईना जब भी देखते है..बेशक सुबह हो या हर शाम..
पायल की झॅकार मे सुनाई देती है अकसर,तेरे कदमो के चलने की आवाज...चूडियो को
जब जब खनकातेे है,तेरे वजूद से खुद को जुुदा नही कर पाते हैै....
पैगाम...तसवीर उभरती है तेरी,आईना जब भी देखते है..बेशक सुबह हो या हर शाम..
पायल की झॅकार मे सुनाई देती है अकसर,तेरे कदमो के चलने की आवाज...चूडियो को
जब जब खनकातेे है,तेरे वजूद से खुद को जुुदा नही कर पाते हैै....