Tuesday 5 April 2016

बरसी है जब जब बारिश की नटखट बूॅदे..छुआ है जब भी उस नेे बदन को मेरे...भिगोया

है उस ने जब भी जुलफो को मेरी...कयू अरमान बहक गए..कयू जजबात महक गए---

देखे नजारे जो कुुदरत के..वादे तेरेे कयू दिल को  उलझा गए--कभी खत लिखे जो तुझ

को मैने..पननो के लफजो को कयूूू यह बादल उडा ले गए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...