ना जाने कया था उन आॅखो मे,कि हम पलको को झुकाना भूल गए--रौनक चेहरे की जो
देखी हम रौशन घर को करना ही भूल गए--ठगे से खडे रह गए चलने के अॅॅदाज पे फिदा
फिदा हो गए--मुड के जो देखा उस ने,जिसम अपने की थरथराहट से मदहोश हो गए--
मिलन की घडिया पास आने को है...पर हम तो अभी से उस के निगाहे-बान हो गए---
देखी हम रौशन घर को करना ही भूल गए--ठगे से खडे रह गए चलने के अॅॅदाज पे फिदा
फिदा हो गए--मुड के जो देखा उस ने,जिसम अपने की थरथराहट से मदहोश हो गए--
मिलन की घडिया पास आने को है...पर हम तो अभी से उस के निगाहे-बान हो गए---