ऐ जिॅदगी...ना थका मुझ को इतना कि मै कही बिखर ना जाऊ--इन तकलीफो मेेे ना
उलझा मुझ को कि तुझी से ना उलझ जाऊ --तूने ही तो जीना सिखाया था कभी मुझ
को..तुुम तोड रही हो वादा पर मेरा ईमान टूटा नही आज भी----सुन जिॅदगी..जरा सॅभल
मै हू इक आफताबे-रौशन..समेट दरद अपने..एेसा ना हो कि मै तुझ से ही बागी हो जाऊ
उलझा मुझ को कि तुझी से ना उलझ जाऊ --तूने ही तो जीना सिखाया था कभी मुझ
को..तुुम तोड रही हो वादा पर मेरा ईमान टूटा नही आज भी----सुन जिॅदगी..जरा सॅभल
मै हू इक आफताबे-रौशन..समेट दरद अपने..एेसा ना हो कि मै तुझ से ही बागी हो जाऊ