Friday 22 April 2016

 इक लॅबी जुदाई के बाद जब तुम आए हो..कयू तनहा है फिर भी तुम और मै--आगोश

मे तेरी रहते है..फिर भी डरते है उसी तनहाई से--किसमत की लकीरो मे नाम तो बस

तेरा है..लगता है जैसे जमाना तो आज भी सिरफ तेरा है--कोई दसतक दे रहा है तेरे

दिल के दरवाजे पे..काॅप जाते है कयू आने वाली बेवफाई से --

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...