इक लॅबी जुदाई के बाद जब तुम आए हो..कयू तनहा है फिर भी तुम और मै--आगोश
मे तेरी रहते है..फिर भी डरते है उसी तनहाई से--किसमत की लकीरो मे नाम तो बस
तेरा है..लगता है जैसे जमाना तो आज भी सिरफ तेरा है--कोई दसतक दे रहा है तेरे
दिल के दरवाजे पे..काॅप जाते है कयू आने वाली बेवफाई से --
मे तेरी रहते है..फिर भी डरते है उसी तनहाई से--किसमत की लकीरो मे नाम तो बस
तेरा है..लगता है जैसे जमाना तो आज भी सिरफ तेरा है--कोई दसतक दे रहा है तेरे
दिल के दरवाजे पे..काॅप जाते है कयू आने वाली बेवफाई से --