दरद बहुत है राहे-उलफत मे...बिखरे है अलफाज हजारो,तूफाने-शिरकत मे...ढूॅढ रहे है
खुशियाॅ भटके हुए हमसफर की तरह...तलाश तो आज भी जारी है वो पहले पयार की
तरह...मुददत बाद भी वो जखम ताजा है किसी बगीचे-गुलजाऱ की तरह...तनहाई तो
वही कायम है..अशक आज भी बहते है तूफानी बारिश की तरह.....
खुशियाॅ भटके हुए हमसफर की तरह...तलाश तो आज भी जारी है वो पहले पयार की
तरह...मुददत बाद भी वो जखम ताजा है किसी बगीचे-गुलजाऱ की तरह...तनहाई तो
वही कायम है..अशक आज भी बहते है तूफानी बारिश की तरह.....