इन कागज के टुकडो से पयार नही रहा कभी..चॅद सिकको के लिए ईमान को बेेचा नही
कभी--रातो को बहाए इन अशको मे हजारो जजबात गला दिए हम ने--हजारो सवालो के
जवाब तुम से पूछने के लिए हजारो पनने भर दिए हम ने--यह जिॅदगी कभी रास नही
आई हम को..लोगो के चेहरे पढने के लिए उमर के कई साल गुजार दिए हम ने---
कभी--रातो को बहाए इन अशको मे हजारो जजबात गला दिए हम ने--हजारो सवालो के
जवाब तुम से पूछने के लिए हजारो पनने भर दिए हम ने--यह जिॅदगी कभी रास नही
आई हम को..लोगो के चेहरे पढने के लिए उमर के कई साल गुजार दिए हम ने---