Tuesday 8 March 2016

लोग तुझे बेवफा कहते है..तेरे नाम से कितनो का रिशता जोडते है--हवा देते है तेरे हर

बेनाम रिशते को..बदनामी के दाग से तुझे बुलाते है--पर हमे तो हवाओ मे भी तेरे बेदाग

इशक की खुशबू आती है--करवटे बदलते है जब रातो को..तेरी पाक मुहबबत की महक

आती है--तुझे इबादत की रसम मे बाॅध कर..अपनी दुनिया मे बुलाते है---


दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...