लोग तुझे बेवफा कहते है..तेरे नाम से कितनो का रिशता जोडते है--हवा देते है तेरे हर
बेनाम रिशते को..बदनामी के दाग से तुझे बुलाते है--पर हमे तो हवाओ मे भी तेरे बेदाग
इशक की खुशबू आती है--करवटे बदलते है जब रातो को..तेरी पाक मुहबबत की महक
आती है--तुझे इबादत की रसम मे बाॅध कर..अपनी दुनिया मे बुलाते है---
बेनाम रिशते को..बदनामी के दाग से तुझे बुलाते है--पर हमे तो हवाओ मे भी तेरे बेदाग
इशक की खुशबू आती है--करवटे बदलते है जब रातो को..तेरी पाक मुहबबत की महक
आती है--तुझे इबादत की रसम मे बाॅध कर..अपनी दुनिया मे बुलाते है---