समनदर की लहरो ने छुआ..जो मेरे पैरो को..कयू पानी शराबे जाम बन गया---झुकाया
जो पलको को हम ने..कयू शाम का अॅधेरा हो गया--खुली आॅखे तो जमाना रौशन हो
गया--धरती पे कदम जो हम ने लिए..हजूम दीवानो का हमारे सजदे मे ही झुक गया--
अब हो चुके है खामोश..तो जमाने.....अब तूू भी कयू खामोश हो गया----
जो पलको को हम ने..कयू शाम का अॅधेरा हो गया--खुली आॅखे तो जमाना रौशन हो
गया--धरती पे कदम जो हम ने लिए..हजूम दीवानो का हमारे सजदे मे ही झुक गया--
अब हो चुके है खामोश..तो जमाने.....अब तूू भी कयू खामोश हो गया----