Sunday 20 March 2016

यह मेरी जिॅदगी तेरी अमानत ही तो हैै--मेरे हर सवाल मे उलझी हुई..पर इबादत बस

तेरी ही तो है--कभी भटके जो राहो से..तेरी तसवीर मे सिमटती मेरी उलफत ही तो है--

हजारो रॅग जो दिखा रही यह जिॅदगी..तुझ से लिपटने के लिए मेरी यह बेकरारी ही तो है

--बुला ले अब तो अपने पास मुझे..यह साॅसे अब मेरे लिए बहुत ही भारी है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...