तू किसमत मे नही मेरी शायद..तू सिरफ यादो मे रहे गा शायद---हाथो की लकीरो मे
ढूढॅते है तेरा नाम अकसर..कयू शहनाईयो की गूॅज मे खो जाते है अकसर--दुलहन के
लिबास को कयू मान लेते है तेरा तोहफा..यह जानते हुए अमानत है तूू किसी और की
शायद--यकीॅ है आज भी कयू इतना....किसमत की लकीरो मे नाम तेरा लिखा ले गे
अपना----
ढूढॅते है तेरा नाम अकसर..कयू शहनाईयो की गूॅज मे खो जाते है अकसर--दुलहन के
लिबास को कयू मान लेते है तेरा तोहफा..यह जानते हुए अमानत है तूू किसी और की
शायद--यकीॅ है आज भी कयू इतना....किसमत की लकीरो मे नाम तेरा लिखा ले गे
अपना----