Saturday 12 March 2016

बेमौसम आई है बरसात..शायद तेरा ही पैगाम ले कर--बरसती बूॅदो मे हैैै इॅतजाऱ..तेरी

उसी मुहबबत का एहसास ले कर--यह भीगा भीगा सा मौसम..दिला रहा है याद उस

तनहाई की...जो हम ने तुम ने गुजारी थी खामोशी की..पर हलकी सी जुदाई की--आ

गए है फिर से खुले आसमाॅॅ मे आज...तेरी ही यादो का पिटारा साथ ले कर----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...