Tuesday 1 March 2016

हमारी आॅखो मे..वो सूरत अपनी ढूॅढते ही रहे--पलको की हरकत मे..वो बेताबी ही  खुद

की तलाश करते रहे--अपने हाथो मे हमारा चेहरा लिए..वो अपना वजूद देखते रहे.देखते

रहे--रात भर हमारी खूबसूरती पर..नगमे लिखते रहे.लिखतेे रहे---उन पननो पे जो देखा

हम ने अपना नाम..बस...उन को पाने के लिए मचलते रहे..मुुसकुराते रहे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...