Tuesday 1 March 2016

तू आज भी हैै हजारो के साथ..उन की खुशी के लिए--बेवफाई की है तूने मेरी मुहबबत

की आजमाइश के लिए--मुहबबत बिकाऊ नही होती..वो भी किसी बदनुमा इमतिहान के

लिए--पयार कोई खेल नही..यह तो जजबातो का मॅदिर है---वफाऐ हुसन झुकता है जहा

..वही इशक दिल मे लेता है जगह---यह बात और है कि दिल के टुकडे गिरते है यहा ..

कभी किसी के लिए तो कभी किसी के लिए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...