Friday 26 February 2016

इॅतजाऱ अब इतना भी मत करवाना कि तुझ से फिर दूर हो जाए हम--दरद मे फिर

इतना ना डुबोना कि फिर से बिखर जाए ना हम--इतनी शिददत से जो चाहा है तुझे वो

किसी मननत से कम तो नही---खामोश है पर रोए है बहुत..कभी गुफतगू तो कर --ऐसा

ना हो कि बेमौसम की बरसात की तरह फिर से बरस जाए ना हम---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...