सवालो की दुनिया मे..वो बेमतलब सा इक जवाब बन गया---खुदगरजी की दौलत को
जो ना समझा..वो दीवाना हमारा कयू कर बन गया--हसरते काबू मे जो रखते..यकीकन
इस हुसन की सलामी लेते--दिल फेक आशिक ना होते..तो दुआओ मे हमारी शामिल
होते--रूखसत कर दिया उस को खुद से हम ने..अब वफाए जिॅदगी को वो समझे या ना
समझे---
जो ना समझा..वो दीवाना हमारा कयू कर बन गया--हसरते काबू मे जो रखते..यकीकन
इस हुसन की सलामी लेते--दिल फेक आशिक ना होते..तो दुआओ मे हमारी शामिल
होते--रूखसत कर दिया उस को खुद से हम ने..अब वफाए जिॅदगी को वो समझे या ना
समझे---