हर सच को मेरे..झूठ का लबादा पहना कर तुम ने..खुद ही इक दूरी बनाई है---फिर भी
तेरी बेबाकी को..जीने की दुआ बनाई है--दिल टूटा.खुद भी टूटे..हर शिकवा दफन कर के
..खुद की सफाई मे ना कहे गे..और कुुुछ----बस दूसरो की खिदमत मे..फिर से इक बार
..सजाए जिॅदगी बनाई है---
तेरी बेबाकी को..जीने की दुआ बनाई है--दिल टूटा.खुद भी टूटे..हर शिकवा दफन कर के
..खुद की सफाई मे ना कहे गे..और कुुुछ----बस दूसरो की खिदमत मे..फिर से इक बार
..सजाए जिॅदगी बनाई है---