Sunday 21 February 2016

हर सच को मेरे..झूठ का लबादा पहना कर तुम ने..खुद ही इक दूरी बनाई है---फिर भी

तेरी बेबाकी को..जीने की दुआ बनाई है--दिल टूटा.खुद भी टूटे..हर शिकवा दफन कर के

..खुद की सफाई मे ना कहे गे..और कुुुछ----बस दूसरो की खिदमत मे..फिर से इक बार

..सजाए जिॅदगी बनाई है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...