हर चाहत वो नही होती,जो परवान चढती ही--टूट कर चाहे कोई,और अपना बना कर ले
जाए कोई--हसरते आधी अधूूरी ही रह जाती है,टूट के डाल से खुद मे ही बिखर जाती है--
यकीॅ करने के लिए कोई होता ही नही,सपनो मे रॅग देेनेे के लिए आशियाना फिर
मिलता ही नही--जखम देने को हजारो मिलते है,पर सकून देने के लिए फिर खवाहिशे
जुडती ही नही--
जाए कोई--हसरते आधी अधूूरी ही रह जाती है,टूट के डाल से खुद मे ही बिखर जाती है--
यकीॅ करने के लिए कोई होता ही नही,सपनो मे रॅग देेनेे के लिए आशियाना फिर
मिलता ही नही--जखम देने को हजारो मिलते है,पर सकून देने के लिए फिर खवाहिशे
जुडती ही नही--