Thursday 4 February 2016

ठहरा हुआ था समनदर मेरा,कयू आ कर झकझोर दिया--खामोश पडी जिनदगी मे,

कयू आ कर खलल डाल दिया--किसमत अपनी पे नाज करते नही,पर किसी और की

किसमत का नूर बने गे नही--समभलते कदमो से चल रहे थे,कयू तूने कदमो मे मेरे

अपने कदम डाल दिए

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...