ठहरा हुआ था समनदर मेरा,कयू आ कर झकझोर दिया--खामोश पडी जिनदगी मे,
कयू आ कर खलल डाल दिया--किसमत अपनी पे नाज करते नही,पर किसी और की
किसमत का नूर बने गे नही--समभलते कदमो से चल रहे थे,कयू तूने कदमो मे मेरे
अपने कदम डाल दिए
कयू आ कर खलल डाल दिया--किसमत अपनी पे नाज करते नही,पर किसी और की
किसमत का नूर बने गे नही--समभलते कदमो से चल रहे थे,कयू तूने कदमो मे मेरे
अपने कदम डाल दिए