Tuesday 9 February 2016

उदास जिनदगी के मोड पर..इक हसीन शाम मिली...जो धीमे से कह गई.....जिनदगी

अभी इतनी बेेवफा भी नही.....देख...परिनदो ने अभी चहचहाना नही छोडा...हवाओ ने

फिजाओ को दीवाना बनाना भी नही छोडा...यह फूल महक रहे है आज भी तेरे लिए....

इन की खुशबू ने तेरा दामन आज भी नही छोडा...पलके ना भिगो अपनी...कि जिनदगी

अभी भी बेवफा नही इतनी......

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...