खुले जो गेसू..कयू अॅधेरा हो गया--बिखरी बिखरी हवाओ मे..कोहरा सा छा गया--पलके
जो उठाई..सवेरा ही दसतक दे गया--लब जो हिले..इबादत मे सर झुुक गया--मेरी चाहत
का यह असर हुुआ तुझ पर कि देखते देखते तेरी सूरत पे..मेरी सूूरत का नशा ही छा
गया---
जो उठाई..सवेरा ही दसतक दे गया--लब जो हिले..इबादत मे सर झुुक गया--मेरी चाहत
का यह असर हुुआ तुझ पर कि देखते देखते तेरी सूरत पे..मेरी सूूरत का नशा ही छा
गया---