Tuesday 2 February 2016

लिखते जाए गे..लिखते जाए गे..जब तक तेरा नाम खुद के नाम से नही जोड पाए गे..

पननो पे पनने..भर दिए हम ने..हर पनने पे तेरी गुफतगू का सिला छोड दिया हम ने....

कौन जाने किस राह पे..तुम से मिलना हो जाए..खुद को रखते है समभाल कर इतना..

कि लाखो की भीड मे सब से जुदा नजऱ आए..हा..तुझे पहचान जाए गे कि तेरी रूह ने

मेरी रूह के लिए..सदियो से एक पैगाम छोडा है........

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...