लिखते जाए गे..लिखते जाए गे..जब तक तेरा नाम खुद के नाम से नही जोड पाए गे..
पननो पे पनने..भर दिए हम ने..हर पनने पे तेरी गुफतगू का सिला छोड दिया हम ने....
कौन जाने किस राह पे..तुम से मिलना हो जाए..खुद को रखते है समभाल कर इतना..
कि लाखो की भीड मे सब से जुदा नजऱ आए..हा..तुझे पहचान जाए गे कि तेरी रूह ने
मेरी रूह के लिए..सदियो से एक पैगाम छोडा है........
पननो पे पनने..भर दिए हम ने..हर पनने पे तेरी गुफतगू का सिला छोड दिया हम ने....
कौन जाने किस राह पे..तुम से मिलना हो जाए..खुद को रखते है समभाल कर इतना..
कि लाखो की भीड मे सब से जुदा नजऱ आए..हा..तुझे पहचान जाए गे कि तेरी रूह ने
मेरी रूह के लिए..सदियो से एक पैगाम छोडा है........