Thursday 25 February 2016

हर आॅसू मे इक तसवीर उभरती है..फिर बिखर जाती हैै--यादो के झुरमुट से कोई याद

..बार बार जीने का एहसास दिला जाती है--इसी सैलाब से इक दिन तुझे खोज लाए गे..

अपने अरमानो को तेरी ही आगोश मे सजाए गे--खुदा साथ दे गा..तो पाताल से भी ढूढ

लाए गे--करे गे जिॅदगी का आगाज तुझ से..और अॅजाम भी तेरे साथ दे पाए गे--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...