Monday 1 February 2016

यह आॅसू हैै या गुबार है दिल का--यह समनदर है या सैलाब है किसमत का--जो कभी हो

नही सकता,वो अधूरा सा खवाब कयू देखा हम ने--दामन तो भरा है काॅटो से,फिर कयू

गुलाब की हसरत की हम ने--बाइजजत बरी हो जाए इस दुनिया से,ना हो मलाल कभी

उस चाहत का-जो मेरा नही-फिर भी मेरा है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...