ना पाया था कभी उस को,फिर भी खो दिया उस को--ना कभी रहा उस की चाहत का
नशा,फिर भी यह दिल कयू उदास हो गया--कया यह रूह का रिशता है,जो बेवजह ही
तडपा गया--कहानी किसमत की जो खुद लिखते,तो हर पननेे पे तेरा ही नाम होता--
अब यह आलम है,कि तेेरा नाम तो किसी पनने पेे नही--फिर भी पूरी किताब तेरी है--
नशा,फिर भी यह दिल कयू उदास हो गया--कया यह रूह का रिशता है,जो बेवजह ही
तडपा गया--कहानी किसमत की जो खुद लिखते,तो हर पननेे पे तेरा ही नाम होता--
अब यह आलम है,कि तेेरा नाम तो किसी पनने पेे नही--फिर भी पूरी किताब तेरी है--