Tuesday 19 January 2016

दोसतो-नई सुबह मुबारक हो--यह जिनदगी बहुत बार अनदर तक तोड जाती है-इनसान है-अकसर घबरा जाते है,टूट जाते है--पर दोसतो,इन टूटे टुकडो को इकटठा कर के फिर हिममत जुटाए और जिनदगी को दुबारा जिए--हालात हमेशा एक से नही रहते--याद रखिए-हर रात के बाद नई सुबह का आना निशिचत है--कुदरत के नियम कभी नही बदलते---खुुश रहे--शुुभकामनाए सभी के लिए---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...