Wednesday 20 January 2016

तारीफ मेरी इतनी ना करो तुम,कही आसमाॅ मे ना उडनेे लगे हम--जिनदगी मे अपनी

इतना ना करो शामिल-ऐसा ना हो खुद की जिनदगी मे ही ना रह पाए हम--अपने हुसन

पे ना इतराए गे कभी,कि तेरी ही नजऱो मे कही दोषी ही ना बन जाए हम--कायल है तेरी

रूमानी बातो के,कि तेरे कदमो मे मुहबबत अपनी कुरबान करते जा रहे है हम---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...