तेरी खामोशी की आवाज सुन रहे है हम--बॅद आॅखो के तेरे सपने,अपनी आॅखो मे कैद
कर चुके है हम--वो खवाहिशेे,वो दसतके जो दिल के दरवाजे पे दे रहे हो तुम--चुपके से
उन खवाहिशो को हकीकत का नाम देने जा रहे है हम---य़कीॅ तुमहे दिलाए कैसे कि
रफता रफता तेरी ही मुहबबत के आदी होते जा रहे है हम----
कर चुके है हम--वो खवाहिशेे,वो दसतके जो दिल के दरवाजे पे दे रहे हो तुम--चुपके से
उन खवाहिशो को हकीकत का नाम देने जा रहे है हम---य़कीॅ तुमहे दिलाए कैसे कि
रफता रफता तेरी ही मुहबबत के आदी होते जा रहे है हम----