Thursday 14 January 2016

उन के इजहाऱे-पयार का कुछ जवाब ना दे पाए है हम--बस सजदे मे सर झुका दिया,

कुछ भी ना बोल पाए है हम--इकराऱ हम कर दे,वो मिननते कर रहे है हम से बार बार--

पयार बसा हो जो रूह मे,तो कयू इकरार कर पाए गे हम--यह तो इशक है यारा मुहबबत

को मेरी आजमाना ना कभी--कि मर के भी किसी और के ना हो पाए गे हम-ना हो पाए

गे हम--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...