जिसम नही इक रूह हू मैै-खामोशियो की जुबाॅ समझने वाली,इक शहजादी हू मै--दरद
को इनही आॅखो मे समेटे,तेरे ही वजूद से जुडी तेरी ही दासताॅ हू मै---दे पनाह मुझे
अपनी आगोश मे,कि अब डूब जाऊ मै तुझ मे--आसमाॅ मे बहकती थिरकती इक रूह हू
मै-----
को इनही आॅखो मे समेटे,तेरे ही वजूद से जुडी तेरी ही दासताॅ हू मै---दे पनाह मुझे
अपनी आगोश मे,कि अब डूब जाऊ मै तुझ मे--आसमाॅ मे बहकती थिरकती इक रूह हू
मै-----