बदलते रहते जो मौसम की तरह-तो तेरे न हो पाते--बरस बरस कर जान दुसरो पे लुटाते-तो तेरे आँगन की खुशिया न बन पाते---मुहब्बत की बाज़ी जो जीती है हम ने -गर खुद के अरमानो को तेरा बनने पे मजबूर ना होते --इबादत की,सजदे किये तेरे आने की आहट से हम ने --हा यूँ सज सवर कर तेरे मुकम्मल न बन पाते ---
Saturday 19 December 2015
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
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एक ख़ामोशी मेरी.. कह रही हज़ारो लफ्ज़ो के ताने-बाने मगर--समझने के लिए आज कोई शख्स कही भी तो नहीं---ले लिया इन पन्नो का सहारा मगर--इन को पढ़ ...
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हर तरफ मौत का खौफ पर ज़िंदगी से जंग रोज़ जारी है...कोई चला गया तो किसी की बारी आने वाली है..कोई डर रहा है आने वाली मौत से तो कोई खुद को संभ...
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रहे कही भी मगर तेरी रूह से जुदा नहीं होते..रहते है सदा तेरे दिल की धड़कन मे,कही और नहीं जा सकते..दिल जो जुड़े है इक दूजे से..धड़कनें जो सुने...