Thursday 17 December 2015

किसी कहानी की तरह,तुम कभी ना मुझे भूल पाओ गे---जो गुजर चुके लमहे,उन को

कहाॅ लौटा पाओ गे---बीत गए जो जिनदगी के वो साल,मुहबबत की वादियो मे भी कहाॅ

ढूॅॅठ पाओ गे---तनहा तो नही हैै लेकिन,वो खुशियो की सौगाते कहाॅ से ले कर आओ गे--

इबादत मे झुक गए है हम--शायद खामोशी मे एक दूजे को पहचान पाए गे हम----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...