Friday 27 November 2015

आज जी भर कर रो लिए,उन से मिलने के बाद---गुफतगू के सिलसिले जो चले,इनितहाॅ

 हुई फिर सिसकियो के साथ----यह दरद जो जानलेवा है इतना,भूलना चाहा उनहेेे तो

याद आ गए वो-तमाम यादो के साथ---यह मुहबबत है या फिर मेरी रूह के जखमी होने

का सिला,मिलते है उन से तो भी उदास है--और ना मिले तो बस बेकरार है-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...