आज जी भर कर रो लिए,उन से मिलने के बाद---गुफतगू के सिलसिले जो चले,इनितहाॅ
हुई फिर सिसकियो के साथ----यह दरद जो जानलेवा है इतना,भूलना चाहा उनहेेे तो
याद आ गए वो-तमाम यादो के साथ---यह मुहबबत है या फिर मेरी रूह के जखमी होने
का सिला,मिलते है उन से तो भी उदास है--और ना मिले तो बस बेकरार है-----
हुई फिर सिसकियो के साथ----यह दरद जो जानलेवा है इतना,भूलना चाहा उनहेेे तो
याद आ गए वो-तमाम यादो के साथ---यह मुहबबत है या फिर मेरी रूह के जखमी होने
का सिला,मिलते है उन से तो भी उदास है--और ना मिले तो बस बेकरार है-----