मेरी हॅसी मे छिपा है,मेरी जिनदगी का अनदाजे-बयाॅ---खुदा की रहमतो का सिला,
मुहबबत की फिजाओ मे छिपा---यू ही नही देती है मेरी आॅखे खुशियो के पैगाम--कि
जहा जहा रख दू यह पाॅव,वही बस जाए मननतो का सॅसार-हवाए दे रही है दसतक मुझे
छू कर कि भर लो खुशिया---आई हू जहाॅ मे नूरे-खुदा बन कर---
मुहबबत की फिजाओ मे छिपा---यू ही नही देती है मेरी आॅखे खुशियो के पैगाम--कि
जहा जहा रख दू यह पाॅव,वही बस जाए मननतो का सॅसार-हवाए दे रही है दसतक मुझे
छू कर कि भर लो खुशिया---आई हू जहाॅ मे नूरे-खुदा बन कर---