तेरे इशक का दरिया बहता है आज भी,मेरी रूह के वजूद मे---बेशक दुनिया यह समझे
कि मशगूल हू मै,शाही जिनदगी के ऱसूख मे---दौलत से खरीदे ना जाने कितने महल,
लुटाया खजाना ना जाने कया सोच कर----पर आज भी हर लमहा तेरी मुहबबत की
गुरबत मे,बहुत तनहाॅ और मायूस हू------
कि मशगूल हू मै,शाही जिनदगी के ऱसूख मे---दौलत से खरीदे ना जाने कितने महल,
लुटाया खजाना ना जाने कया सोच कर----पर आज भी हर लमहा तेरी मुहबबत की
गुरबत मे,बहुत तनहाॅ और मायूस हू------