Monday 2 November 2015

दे कर तुझे यह जिनदगी,खुद से आजाद हो गए है हम--साॅसे भी अब जब लेते है हम--

खुद की बनदगी से भी बहुत दूर हो गए है हम---हजारो चेहरे देखे है राहे जिनदगी मे,पर

चेहरे तेरे की रॅगत से बस रौशन हो गए है हम--वो तेरा देखना मुझे मुड मुड के पीछे से--

इसी अदा पे तेरी कुरबान हो चुके है हम---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...