दे कर तुझे यह जिनदगी,खुद से आजाद हो गए है हम--साॅसे भी अब जब लेते है हम--
खुद की बनदगी से भी बहुत दूर हो गए है हम---हजारो चेहरे देखे है राहे जिनदगी मे,पर
चेहरे तेरे की रॅगत से बस रौशन हो गए है हम--वो तेरा देखना मुझे मुड मुड के पीछे से--
इसी अदा पे तेरी कुरबान हो चुके है हम---
खुद की बनदगी से भी बहुत दूर हो गए है हम---हजारो चेहरे देखे है राहे जिनदगी मे,पर
चेहरे तेरे की रॅगत से बस रौशन हो गए है हम--वो तेरा देखना मुझे मुड मुड के पीछे से--
इसी अदा पे तेरी कुरबान हो चुके है हम---