Monday 16 November 2015

रहमत तेरी से,यह आॅखे कयू नम हो गई--जो कहा तुम ने,उस अदा से यह शाम रॅगीन

हो गई---फलसफा तेरी रूसवाई का,मुझे नामॅजूर कर गया--धडका जो दिल,फैसलो को

बदलता चला गया---रात तो अब होने को है,तेरे आने की आहट से ही कयू यह चेहरा

गुलाब हो गया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...