Sunday 1 November 2015

गहरे ऱाज की वो बाते,अब तो बता दो मेरे हमदम---जखम दिल पे लिए कयू बैठे हो,अब

करीब मेरे आ जाओ हमदम---वकत तो रूकता नही किसी के लिए,फिर आज भी कयू

तनहा हो उस जानम के लिए----मै हू ना तेरी उममीद-ए-वफा,अब तो भुला दे दऱद-ए-

सजा--सपने तेरे सजाने के लिए,बन के आई हू तेरी शहजादी-निकाह----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...