बुझ गए सारे दिए,पर इक सुलगती सी लौ बाकी है---बरबाद हो चुकी वो तमाम खुशिया,
पर इक हलकी सी मुसकान अभी बाकी है----बिखर गए है सभी रिशते,पर उन की महक
कही बाकी है--जिनदगी तो बस अब तमाम होने को है,पर इन साॅसो का चलना आज भी
कही जारी है-----
पर इक हलकी सी मुसकान अभी बाकी है----बिखर गए है सभी रिशते,पर उन की महक
कही बाकी है--जिनदगी तो बस अब तमाम होने को है,पर इन साॅसो का चलना आज भी
कही जारी है-----