बहुत सकून से बैठे है वो-तनहाईयो से दूर,कही बेखबर बैठे है वो---समनदर की लहरो नेे
जो छु्आ कदमो को मेरे,अठखेलियो से खेलते,खुद मे मशगूल है वो---नजमो के सॅसार
मे,वो गुनगुनाते रहे--यह जाने बिना कि कोई फिदा है उन पर----बहारे दे रही हैै आवाज
उनहे,पर सब से बहुत दूर-ना जाने कयू खोए बैठे है वो--------
जो छु्आ कदमो को मेरे,अठखेलियो से खेलते,खुद मे मशगूल है वो---नजमो के सॅसार
मे,वो गुनगुनाते रहे--यह जाने बिना कि कोई फिदा है उन पर----बहारे दे रही हैै आवाज
उनहे,पर सब से बहुत दूर-ना जाने कयू खोए बैठे है वो--------