Sunday 18 October 2015

फूल बिछाए है तेरी राहो मे,हमदम मेरे अब तो आ जा--मिननतो से सजाया है अपना आशियाना

,कि अब तो आ जा---बनिदशे जमाने की लाख हो चाहे,पर मेरी खुशी के लिए सब छोड

के आ जा----यह दुनिया कब कहाॅ किस की हुई है,गर माना है मुझे अपना तो सब भुला

कर आ जा---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...