जितना निखारा है तेरी मुहबबत ने मुझे,कायल है तेरी इसी वफा के लिए--जो बात कही
तूने,धीमे से कानो मे मेरे--वो खनक के उतर गई सीधे दिल मे मेरे-----ना जाना जमाने
की रॅजिशो पे कभी,दरदे-दिल दे जाती है नासूर बन के----यू ही रहना मेरा बहाऱे-जशन
बन के,कि आदी हू तेरी इसी अदा के लिए-----
तूने,धीमे से कानो मे मेरे--वो खनक के उतर गई सीधे दिल मे मेरे-----ना जाना जमाने
की रॅजिशो पे कभी,दरदे-दिल दे जाती है नासूर बन के----यू ही रहना मेरा बहाऱे-जशन
बन के,कि आदी हू तेरी इसी अदा के लिए-----