Monday 7 September 2015

हवाओ के झोको से,मिला है पैगाम तेरा---तेरी साॅसो मे बसते है हम-पैगाम मे छिपा है

यह एहसास तेरा-----फूलो मे,फिजाओ मे--तेरी निगाहो के खामोश लफजो मे--ठूठ चुके

है इकरार तेरा---तेरी ऱजा से जुडी है मेऱी भी ऱजा--ना अब दूर रहो इतना,कि शहनाईयो

की गूज से महक रहा सॅसार मेरा-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...