Friday 25 September 2015

पायल बजती रही रात भर,पर घुघरू टूट नही पाए---खामोशिया देती रही दसतक,

परिनदे फिर भी उड नही पाए----राजे-इकरार मे छुप गया पयार का वो सिला,दिल

धडकते रहे पर मुहबबत परवान चढ नही पाई----तुम कुरबान होते रहे हम पर,लेकिन

तेरे आज तक हम फिर भी हो नही पाए----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...