पायल बजती रही रात भर,पर घुघरू टूट नही पाए---खामोशिया देती रही दसतक,
परिनदे फिर भी उड नही पाए----राजे-इकरार मे छुप गया पयार का वो सिला,दिल
धडकते रहे पर मुहबबत परवान चढ नही पाई----तुम कुरबान होते रहे हम पर,लेकिन
तेरे आज तक हम फिर भी हो नही पाए----
परिनदे फिर भी उड नही पाए----राजे-इकरार मे छुप गया पयार का वो सिला,दिल
धडकते रहे पर मुहबबत परवान चढ नही पाई----तुम कुरबान होते रहे हम पर,लेकिन
तेरे आज तक हम फिर भी हो नही पाए----