Monday 14 September 2015

आॅसू नही,आहे नही---अब कोई शिकायत भी नही---पयार के ताने बानो से बुना उन

रिशतो का कोई वजूद भी नही---रॅजो-गम की सयाही जो दामन से लिपटी थी कभी---

उन के निशाॅ अब दूर दूर तक कही भी नही---जजबातो की वो नाव जो बनाई थी कभी,

उस के बहने का वो मॅजर--दरिया मे अब कही भी नही--कही भी नही-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...