आॅसू नही,आहे नही---अब कोई शिकायत भी नही---पयार के ताने बानो से बुना उन
रिशतो का कोई वजूद भी नही---रॅजो-गम की सयाही जो दामन से लिपटी थी कभी---
उन के निशाॅ अब दूर दूर तक कही भी नही---जजबातो की वो नाव जो बनाई थी कभी,
उस के बहने का वो मॅजर--दरिया मे अब कही भी नही--कही भी नही-----
रिशतो का कोई वजूद भी नही---रॅजो-गम की सयाही जो दामन से लिपटी थी कभी---
उन के निशाॅ अब दूर दूर तक कही भी नही---जजबातो की वो नाव जो बनाई थी कभी,
उस के बहने का वो मॅजर--दरिया मे अब कही भी नही--कही भी नही-----