Wednesday 19 August 2015

वो ननहे से लमहे,कब बन गए मेरी जिनदगी-मुझे पता ही नही चला---फिऱ वही जिॅदगी

कब मुझ से जुदा हो गई,मुझे खबर तक ना लगी----पलके खुली फिर कब बनद हो गई--

यह अधूरी सी शाम,कब ढल गई रात मे---यादो के झुरमट मे इतने खोए कि पता ही

नही चला-------

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...