Saturday 15 August 2015

यू ही हॅसी हॅसी मे,दिल ले कर हमारा वो चल दिए--मुहबबत की बाजी तो हारी हम ने,

वो तो गजब ढा कर बस मुसकुरा दिए---यह मुहबबत भी अजीब शै है,दिल खोता है कोई

जीतने की ऱजा तो किसी और की है---पास आईए तो जऱा,खता पयारी सी कर के,यू

इठला कर कहाॅ चल दिए-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...